Samajik Nyay

सामाजिक न्याय

समाज में किसी के साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पूर्वर्ग्रहों के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए.  हर किसी के पास इतने न्यूनतम संसाधन होने चाहिए कि वे ‘उत्तम जीवन’ की अपनी संकल्पना को जीवन में उतार पाएं. समाज में नागरिकों के बीच सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी प्रकार का भेद न माना जाए और प्रत्येक व्यक्ति को अन्य विकास के पूर्ण अवसर सुलभ हों.  व्यक्ति का किसी भी रुप में शोषण न हो और उसके व्यक्तित्व को एक पवित्र सामाजिक न्याय की सिद्धि के लिए माना जाए, मात्र साधन के लिए नहीं.

समाज के सुविधाहीन वर्गो को अपनी सामाजिक-आर्थिक असमर्थताओं पर काबू पाने और अपने जीवन स्तर में सुधार करने के योग्य बनाया जाए, समाज के गरीबी के स्तर से नीचे के सर्वाधिक सुविधावंचित वर्गों विशेषरूप से निर्धनों के बच्चों, महिलाओं ओर सशक्त व्यक्तियों की सहायता की जाए और इस प्रकार शोषणविहीन समाज की स्थापना की जाए. समाज के दूर्लभ वर्गो को ऊंचा उठाए बिना, अनुसूचित जातियों पर अत्याचार को रोके बिना, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गो का विकास किए बिना सामाजिक न्याय की स्थापना नहीं हो सकती.

हमारा प्रयास है कि मनुष्य के बीच सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी प्रकार का भेद न माना जाए, प्रत्येक व्यक्तियों को अपनी शक्तियों के समुचित विकास के समान अवसर उपलब्ध हों, किसी भी व्यक्ति का किसी भी रुप में शोषण न हो, समाज के प्रत्येक व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी हों, आर्थिक सत्ता चन्द हाथों में केन्द्रित न हो, समाज का कमजोर वर्ग अपने को असहाय महसूस न करे.